कालू सलूजा@
कवर्धा , जिले की पंडरिया विधानसभा में पहले चरण के तहत 7 नवंबर को मतदान होना है ऐसे में यहां भाजपा कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशी मैदान में उतरकर दम खम के साथ भाग्य आजमाइश में लग चुके हैं लेकिन असली मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होना है दोनों ही दल अपनी जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन परिणाम में जनता जनार्दन की जिस पर मुहर लगेगी वही पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक होगा दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी इस चुनाव रणभूमि में उतर कर और अपने-अपने मुद्दों को लेकर चर्चा कर रहे हैं पंडरिया विधानसभा की गतिविधि तेज हो गई है दिन प्रतिदिन चुनावी सर गर्मी बढ़ रही है चुनावी पारा चढ़ने लगा है 2023 का विधानसभा चुनाव इस बार दिलचस्प हो गया है सभी को पता है कि कांग्रेस पार्टी से दिग्गज नेता जैसे अर्जुन तिवारी महेश चंद्रवंशी विधायक ममता चंद्राकर ने भी अपना किस्मत आजमाने के लिए कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग किया पर सबको दरकिनार करते हुए आलाकमान ने अंतिम समय में नीलकंठ चंद्रवंशी पर भरोसा जताया है तो भाजपा ने जीत का परचम लहराने अंतिम समय पर जिला पंचायत सदस्य एवं समाज सेवी भावना बोहरा को अपना उम्मीदवार बनाया है चुनावी रणनीति के तहत पंडरिया में भाजपा ने अपनी विजय पताका फहराने अपनी पुरी ताकत से जोर आजमाइश में लगी हुई है कांग्रेस प्रत्याशी के लिए देखा जाए तो पूरी कांग्रेस की टीम लगी हुई है भाजपा का फोकस सिर्फ पंडरिया ही नहीं अपितु पंडरिया के साथ कवर्धा पर फोकस ज्यादा दिखाई दे रहा है पंडरिया विधानसभा में इस बार चुनाव जीतना किसी के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि पंडरिया विधानसभा में जाति समीकरण देखा जाए तो सतनामी समाज साहू समाज चंद्रवंशी समाज आदिवासी समाज के मतदाता बहुल संख्या में है जिस प्रत्याशी की तरफ सामाजिक समीकरण का ज्यादा क्षुकाव होगा उनका जीत होने की संभावना जताया जा रहा है पिछली बार कांग्रेस सत्ता की सिंहासन पर काबिज हुई तो मुख्य वजह कांग्रेस का घोषणा पत्र था इस बार का चुनावी घमासान धान और किसान और कर्ज माफी के मुद्दे पर होने वाला है आम जनमानस में यही दो मुद्दे चर्चा में है दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी अब स्टार प्रचारकों के जरिए जी जान से प्रचार करने में जुट गए हैं भाजपा प्रत्याशी भावना बोहरा और कांग्रेस प्रत्याशी नीलकंठ चंद्रवंशी मतदाताओं से संपर्क कर वादे कर रहे हैं मतदाताओं के बीच पहुंचकर प्रचार कर दम भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं मगर मतदाताओं में खामोशी प्रत्याशियों के लिए कुछ भी गुल खिला सकती है।