कवर्धा,- महात्मा गांधी नरेगा का उद्देश्य देश भर के ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है, जिसके तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान किया जाना कानून है, छत्तीसगढ़ में रोजगार दिवस को बढ़ाते हुए 150 दिन कर दिया गया है । सभी वयस्क सदस्य को अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आने पर काम दिया जाता है। महात्मा गांधी नरेगा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों और अन्य हाशिए के समूहों सहित ग्रामीण क्षेत्रों के सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचकर गरीबों के आजीविका संसाधन आधार को मजबूत करने के महत्व को पहचानता है। इस योजना के तहत प्रतिदिन 243 रुपए की मजदूरी भुगतान किया जाता है।
योजना का कबीरधाम में हाल बे- हाल
मिली जानकारी के अनुसार कबीरधाम जिला के चारों विकासखंड में छत्तीस करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान बकाया है। कबीरधाम जिला निर्माण समय से ही और छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश में अलग ही पहचान बना हुआ है। वर्तमान में कबीरधाम जिला से छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष, डा रमन सिंह, पंचायत,गृह जेल के साथ उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा , सांसद संतोष पाण्डेय के आलावा त्रिपुरा का सांसद कृति देवी कवर्धा शहर के निवासी हैं, बावजूद जिला के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में कार्य करने वाले मजदूरों को उनका ही मजदूरी भुगतान नहीं हो रहा है, जो अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंतनीय है।
बिना आबंटन के करा दिया गया करोड़ो का कार्य
छत्तीसगढ़ राज्य सहित कबीरधाम जिला में माह मई के बाद एक रुपया का भी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए राशि का आबंटन नही आया है, बावजूद जिम्मेदार अधिकारियो, कर्मचारियों ने विभिन्न कार्यों का तकनीकी , प्रशासकीय स्वीकृति और बकायदा कार्य आदेश जारी करते हुए मजदूरों से कार्य भी करा लिया है। जब भुगतान की बारी आया तो बजट और आबंटन का रोना रो रहे हैं।
मजदूरी भुगतान को लेकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के मजदूर अपने बैंक और सरपंच, सचिव के घरों का चक्कर काट काट कर परेशान हो रहे हैं।
दो सप्ताह नही, तीन माह में भी भुगतान नहीं
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 3(3) में मस्टर रोल बंद होने की तारीख से पंद्रह दिन के अंदर मजदूरी भुगतान नहीं किया जाता है, तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम की अनुसूची 2 के पैरा 29 के अनुसार मजदूरी प्राप्तकर्ता को मस्टर रोल बंद होने के सोलहवें दिन से विलंब के लिये भुगतान न की गई मजदूरी पर प्रतिदिन 0.05 प्रतिशत की दर से विलंब मुआवजे के भुगतान करने का प्रावधान है, लेकिन कबीरधाम जिले में तीन माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक छत्तीस करोड़ से अधिक का भुगतान लंबित है। कबीरधाम जिले के मनरेगा मजदूरों को विलंब से भुगतान का भत्ता मिलेगा या नहीं। जिम्मेदारों पर कार्यवाही तय होगा कि नही ये बड़ी चुनौती है। क्योंकि अधिनियम की धज्जियाँ खुलेआम मंत्री जी के संरक्षण में हो रहा है ।
मजदूरों का तीजा तिहार हुआ फीका
छत्तीसगढ़ का तिहार बरसात के दिनों में ही होता है उसमे मुख्य रूप से तीजा पोला है। जिसमे सभी लोग अपने बहन को उपहार देते है, लेकिन कबीरधाम के मनरेगा मजदूरों के तीन माह से एक रुपया का भुगतान नहीं मिला है । उनका छत्तीस करोड़ का भुगतान लंबित है, जिसके चलते मजदूर परिवार आर्थिक तंगी से परेशान हैं। बरसात के दिनों में मजदूर किसानों का कोई आय का अतिरिक्त स्रोत भी नही होता । मजदूर परिवार तीज त्यौहार में अपने बेटी और बहन को कैसे उपहार दे, इसको लेकर बेबस और मजबूर दिखाई दे रहे है। मजदूरों को भुगतान कराने की दिशा में किसी ने कोई ठोस पहल नही किया है।
मनरेगा में कबीरधाम को मिला पुरस्कार – झूठी वाहवाही लुटाने मस्त पुरा सिस्टम
बिना बजट और आबंटन के मजदूरों से कार्य कराकर कबीरधाम जिला प्रथम स्थान की प्रशस्ति प्राप्त कर लिया । प्रशस्ति और उपलब्धि लेने वाले जिम्मेदार लोगों ने मजदूरों की भावनाओं को समझने की बजाए उनसे मजाक कर रहे हैं। मजदूरों के द्वारा मनरेगा के भरोसे बैठे हैं, उन्होंने बरसाती खर्च के लिए कोई अन्य कार्य या अन्य राज्य से पलायन भी नहीं किया । जिसके परिणाम स्वरूप आज उन्हें इतने बड़े पर्व में मजबूर होना पड़ रहा है।
कानून में है कठोर प्रावधान लेकिन पालन नहीं
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 25 के अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लघंन करने का दोषी पाये जाने पर उसे 1,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।