पंडरिया –केंद्र सरकार की अत्यंत महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन मे 14 वर्षो से लगातार कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों ने 14 वर्षों मे एक बार भी मानदेय मे वृद्धि नही होने के कारण सरकार से रुष्ट होकर सामुहिक त्याग पत्र दे दिया है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2 अक्टुबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी।जिसके सफल संचालन के लिए जिला स्तर एवं जनपद स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। कर्मचारियों के मेहनत से पूरे छत्तीसगढ़ को वर्ष 2017 मे ही ओडीएफ घोषित कर लिया गया था।लेकिन उनकी मेहनत को नौकर शाही और सरकार ने नजरअंदाज किया।
सभी योजनाओ से कम है इन कर्मचारियों का वेतन– सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओ जैसे एन आर एल एम, प्रधान मंत्री आवास योजना, मनरेगा इत्यादि की तुलना मे स्वच्छ भारत मिशन के कर्मचारियों का वेतन अत्यंत कम है। इस योजना के कर्मचारियों ने बताया की हम लोगो को कार्य करने हेतु अत्यंत दुरस्थ पंचायतों तक जाना पड़ता है जिसके कारण उनके वेतन का अधिकांश भाग पेट्रोल के रूप मे ही खर्च हो जाता है जिससे उनके परिवार का पालन करने मे उन्हे बहुत मुश्किल होता है।
मार्ग दर्शिका मे दिये गए निर्देशों का पालन नही– कर्मचारियों ने बताया की योजना के मार्ग दर्शिका मे स्पष्ट निर्देश है कि योजना के जिला स्तर और जनपद स्तर मे कार्यरत कर्मचारियो का वेतन एन आर एल एम योजना मे कार्यरत के कर्मचारियो के वेतन के बराबर होना चाहिए परंतु एन आर एल एम योजना के कर्मचारियो का वेतन एस बी एम के कर्मचारियो के वेतन से लगभग चार गुना अधिक है।
उप मुख्यमंत्री महोदय से मिला था सकरात्मक आश्वशन– कर्मचारियो ने बताया कि उनके संघ के पदाधिकारी उप मुख्यमंत्री जी से मिलकर अपने समस्याओं से अवगत कराते हुए मार्ग दर्शिका अनुरूप एन आर एल एम के बराबर वेतन करने की मांग की गई थी। जिसमे माननीय उप मुख्य मंत्री जी ने सकारात्मक पहल करते हुए उच्च अधिकारियों को एन आर एल एम के अनुरूप वेतन देने हेतु निर्देश दिये थे। परंतु अधिकारियों पर उनके निर्देशों का कोई फर्क नही पड़ा और वेतन की फाइल कछुआ चाल से इस टेबल से उस टेबल पर घूम रही है। जिससे नाराज होकर कर्मचारी सामोहिक त्याग पत्र देने को मजबूर हुए।