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पंडरिया विकासखंड के निर्माण कार्यों में काला रेत का उपयोग , गुणवत्ता नही , जिम्मेदार मौन 

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कवर्धा , कबीरधाम जिला छत्तीसगढ गठन से ही वी आई पी जिला के रूप में जाने जाते है । पंडरिया विकासखंड का भी मिजाज कुछ अलग ही रहता है । जिसके चलते सारे नियम कायदों को किनारे करते हुए निर्माण कार्यों को अंजाम देते हैं। कही पर प्रतिबंधित लाल ईंट , स्थानीय नदी का मिट्टी युक्त रेत सहित प्रकालन को किनारे करते हुए मनमाफिया तरीके से कार्य करना कोई नई बात नहीं। उक्त सभी के ज़िम्मेदार अधिकारी कर्मचारी ही है जो इस तरह के कार्यों पर अंकुश नहीं लगाते और कार्यों का मूल्यांकन सत्यापन कर राशि का भुगतान कर देते हैं। कुछ निर्माण कार्य समय से पहले ही दम तोड रहे हैं बावजूद कार्यवाही करने के संरक्षण देते है । जिसके चलते निर्माण एजेंसी मनमानी करने में पीछे नहीं हटते।जिसका खमियांजा आम लोगो को भुगतना पड़ता है।
समय से पहले हो जाते है धरासाई
पंडरिया विकासखंड में बहने वाली नदी , नालों के रेत में मिट्टी युक्त रहता है जिसके चलते सरकारी निर्माण कार्यों में उपयोग के लिए सही मानक नही पाया गया है। निर्माण कार्यों का प्रकालन तैयार करते समय स्थानीय नदी नालों के रेत का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया जाता है ।बावजूद धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है जो समय से पहले धरासाई हो जाता है या फिर बहुत जल्दी खराब हो जाता है । पंडरिया विकासखंड के बहुचर्चित ग्राम पंचायत कुई में पिछले वर्ष पूर्व माध्यमिक शाला के पास आहता निर्माण किया गया जो पहली बरसात में ही गिर गया जिसे पुनः निर्माण करने के लिए फिर स्थानीय नदी का रेत रखा गया है। कुई में ही बाजार परिसर के पास नदी में पचारी और कटाव रोकने के लिए निर्माणाधीन रिटर्निंग वाल बनाया जा रहा था जिसमे से पचारी बह गया था। उक्त पचरी को फिर बनाया जा रहा है जो समझ से परे है । ऐसा पंडरिया विकासखंड में अनेकों निर्माण कार्य देखने से मिल जाएगा जो उपयोग से पहले ही दम तोड देते है ।
स्थानीय नदी नालों पर मुफ्त मिलते हैं रेत 
निर्माण एजेंसियों को स्थानीय नदी,नालों में बिना कोई शुल्क जमा किए बिना फ्री में रेत का परिवहन करते मिल जाता है जिसके कारण प्रकालन को किनारे कर दिया जाता है। पंडरिया विकासखंड में हाफ नदी , आगर नदी , किलकिला नाला सहित सैकड़ों स्थान रेत का भंडार है जहा से आसानी से रेत का निःशुक परिवहन किया जा सकता है। रेत परिवहन करने में किसी का कोई दखल भी नही रहता , केवल स्थानीय मजदूरों से कार्य कराया जाता है।वही प्रकालन के अनुसार रेत उपयोग करने पर एक ट्रक में पच्चीस से तीस हजार रुपए खर्च आता है। जिसका बचत निर्माण एजेंसी का हो जाता है ।
कमीशन का बड़ा खेल
पंडरिया विकासखंड में स्थानीय नदी नालों का मिट्टी युक्त रेत का उपयोग करने से कार्य में गुणवत्ता नही आता जिसके चलते अधिकारी कर्मचारीयो ने मूल्यांकन सत्यापन करने में मना करते है लेकिन निर्माण एजेंसी के द्वारा उन्हें कमीशन की राशि में वृध्दि करने से यह कार्य आसानी से हो जाता है जो जगजाहिर है। किसी से छुपा नहीं है। मूल्यांकन , सत्यापन कर्ता अधिकारी कर्मचारीयो को उस गांव में निस्तारी,उपयोग करने जाना ही नही है।
चल रहे निर्माण कार्यों की जांच की आवश्यकता
कबीरधाम जिला के पंडरिया विकासखंड में जितने भी निर्माण कार्य चल रहा है उसमे स्थानीय नदी का रेत उपयोग में किया जा रहा है। दिखावे के लिए बाहरी रेत को डंप करके रखा जाता है निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद उक्त रेत को उठा लिया जाता है। निर्माणाधीन कार्य स्थल की जांच करने पर सारे जगह स्थानीय नदी नालों के रेत का उपयोग करते मिल जाएगा । यदि शासन प्रशासन उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर जांच करते हैं तो तरह तरह की गड़बड़िया उजागर होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
सभी कार्यों का एक ही हाल 
पंडरिया विकासखंड में बहुत से निर्माण कार्य चल रहा है । ग्राम पंचायत से लेकर अन्य विभागो में बड़े बड़े कार्य चल रहा है ,सभी विभागो में निर्माण कार्य चल रहा है लगभग सभी में यही हाल है । नाली , पचरी , भवन, पुल पुलिया , सी सी रोड, जल जीवन मिशन सहित सभी छोटे बड़े निर्माणाधीन कार्यों में स्थानीय नदी, नालों के मिट्टी युक्त रेत और प्रतिबंधित लाल ईंट का उपयोग करते देखा जा सकता है। जो बिना रोक टोक से पनप रहा है।
खनिज विभाग का पता नही
कबीरधाम जिला में खनिज विभाग नाम का कोई कार्यालय है या नही इसकी जानकारी लोगो को पता ही नही है। क्षेत्र में खनिज विभाग का अबतक कोई बड़ी कार्यवाही हुआ ही नहीं है । पंडरिया विकासखण्ड के किसी भी नदी , नालों में अवैध रेत परिवहन और पहाड़ किनारे से अवैध खनन , नदी , नालों , तालाबों के किनारे अवैध ईट निर्माण करने वालो पर कार्यवाही करने की आवश्यकता होती है लेकिन कोई कार्यवाही करने वाले है ही नहीं। यदा कदा राजस्व अमला कार्यवाही करते दिखाई देता है। खनिज विभाग के अधिकारियो को कार्यालय से बाहर निकलकर कार्यवाही करनी चाहिए जिससे लोगो को भी पता चलना चाहिए कि इस तरह का भी कोई विभाग होता है।

 

 

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