कवर्धा. प्रदेश सरकार छोटे-छोटे बच्चों को प्री नर्सरी की शिक्षा देने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र की स्थापना किया है साथ ही अच्छे विकास, पोषण और आरंभिक शिक्षा के पीछे बड़े पैमाने पर पैसे बहा रही है। इस काम के लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रहीं है। ऐसे में बहुत सारे आंगनबाड़ी तो सुचारू रूप से संचालित होते हैं, लेकिन कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं, जिनकी स्थिति देखकर प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लग जाते हैं।
विकासखंड पंडरिया के अंतर्गत ग्राम पंचायत डालामौहा के आंगनबाड़ी केंद्र पुराना होने के कारण अत्यंत जर्जर और बदहाल हो चुके हैं। बारिश के कारण छत से पानी टपक रहा है बच्चो को बैठाने की जगह नहीं है इसके बाद भी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहा है, जिसे नौनिहाल बच्चों के लिए सिर पर खतरा मंडरा रहा है। पुराना होने के कारण भवन के दीवाल और छत क्षतिग्रस्त हो चुके है । वहीं देखरेख के अभाव में आंगनबाड़ी भवन का नींव कमजोर पड़ गया है। आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों की दर्ज संख्या लगभग सौ से अधिक है। नौनिहाल बच्चों की सुरक्षा का ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने जर्जर भवन की जानकारी अपने उच्चाधिकारी और सरपंच सचिव को दे चुके है। बाबजूद व्यवस्था ने कोई सुधार नहीं हो रहा है।
जानकर अनजान बने हैं जिम्मेदार
केंद्र की बदहाली को ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत सहित सभी जिम्मेदार लोगो को दे दिया है सभी लोग नजरअंदाज कर रहे हैं। कार्यकर्ता ने बताया कि वो कई बार पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा चुकी हैं लेकिन अबतक किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। जर्जर आंगनबाड़ी केंद्र में हादसे का डर बना रहता है। भवन इस कदर जर्जर है, कि कभी भी कोई भी घटना दुर्घटना हो सकती है। आंगनबाड़ी केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। नौनिहाल जर्जर भवन में कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं। आने वाले भविष्य में यदि कोई अनहोनी हो जाए, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
जानकारी के बाद भी सुधार नहीं
कार्यकर्ता ने बताया कि ग्राम डालामौहा में आंगनबाड़ी केवल एक ही केंद्र संचालित है, जिसमें शिशुवती 08 , गर्भवती 04 , 03वर्ष से 06 वर्ष के बच्चे 41 , 6 माह से 3 वर्ष 39 और 0 से 06 माह की बच्चो की 08 है साथ ही माध्यम कुपोषित 02 और गंभीर कुपोषित 01 बच्चे है दर्ज है । बच्चे प्री नर्सरी और प्राथमिक शाला जाने के पूर्व की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जर्जर भवन के मरम्मत व नव निर्माण को लेकर कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में भवन जर्जर होने के कारण कभी भी अनहोनी को लेकर सहमे रहते हैं।
अनेक केंद्र है जर्जर
कुकदूर परियोजना अंतर्गत बहुत से आंगनवाडी भवन है जर्जर हो गया है। कुकदुर एकीकृत बाल विकास परियोजना में बैगा आदिवासी लोगो की संख्या बहुतायत है । बाबजूद ज़िम्मेदार ध्यान नही देते । यहां पर कोई सक्षम अधिकारी भी नही है जो नियमित निरीक्षण कर सकें । परियोजना पर्यवेक्षकों के भरोसे है ।