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वन मंत्री के विधानसभा में बहुमूल्य सागौन को वन विभाग ने किया चोरों के हवाले,जंगल का हो रहा सफाया

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कवर्धा : छत्तीसगढ के वन मंत्री के निर्वाचन विधान सभा के बोडला विकासखंड लगभग पूर्णतः जंगल क्षेत्रों में आता है वही वन विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के मामले अधिकांशत: सामने आते ही रहते है। वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही उनकी कार्यप्रणाली को संदेहात्मक बनाती है। जिसके चलते क्षेत्र में वनों की कटाई पर रोक नहींं लगा पाती है। दरअसल इसी लापरवाही के कारण ही वनों की कटाई पर अंकुश नहीं लग पाता है और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को बदनामी का दंश झेलना पड़ता है।कबीरधाम जिले में आये दिन हरे भरे वृक्षों को काटा जा रहा है। प्राय: देखा गया है कि वन विभाग की टीम अपनी अधिकांश कार्यवाही में केवल ठूंठ पर हेमवर मारकर ही इतिश्री कर लेता है जिसके चलते वृक्ष की कटाई निरंतर जारी है। कबीरधाम वन मंडल अंतर्गत वनपरिक्षेत्र कवर्धा (सामान्य)वन परिक्षेत्र के बीट क्रमांक 63 बंजारी के आसपास जिसका सफल सागौन वृक्षा रोपण कार्य सन 1959,_60 आसपास किया गया था जंहा अच्छी क्वालिटी के सागौन के वृक्ष रोपे गए थे जो अब बड़े होकर बहुमूल्य पेड़ बन चुके है।जिन्हें वन विभाग ने अब चोरो के हवाले कर दिया हैं जिन पर लकड़ी चोरी करने वालों की नजर जमीं रहती है।लेकिन वन विभाग की उदासीनता के चलते अब यहा प्लांटेशन पर अब लकड़ी चोरो का राज है मौके पर इस बहुमूल्य वन संपति का जमकर दोहन हो रहा है और वनविभाग भरपूर अमला तैनात है इस प्लांटेशन से सड़क के किनारे ही जब सागौन की इतनी अवैध कटाई हो रही हो तो जंगल के अंदर कितनी कटाई हो रही होगी । यह कल्पना की जा सकती है।बीट क्रमांक 63में जगह – जगह ठूंठ दिखाई देने लगे है। वनविभाग के लापरवाह अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा अनदेखी की जा रही है।चोरो द्वारा के पेड़ चोरी कर ले जा चुके है और इसकी भनक तक विभाग को नही लग पाई है इतना ही नही प्लान्टेशन के अंदर ही चोरो द्वारा हांथ आरा से पल्ले बनाने का काम बेधड़क चल रहा इससे प्रतीत होता हैं कि वन अमला ने ही इन चोरो को खुली छूट दे रखी है और यहाँ स्पष्ट होता है कि वन विभाग ने यह बेसकीमती सागौन प्लांटेशन अब चोरो के हवाले कर दिया है। जिससे वनों में सागौन का तेजी से सफाया होता जा रहा है।ज्ञात हो कि यह प्लांटेशन में हरे-भरे सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। लेकिन अवैध कटाई पर वन विभाग अंकुश नहीं लगा पा रहा है। पुनः ज्ञात हो कि क्रमांक 63और 63A मे सुनियोजित तरीके से सागौन तस्करों के द्वारा लगातार सागौन की तस्करी करने का मामला सामने आया है लेकिन वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी अभी भी इस मामले से बेखबर है जिसका फायदा सागौन तस्करों के द्वारा खुलेआम उठाया जा रहा है। बोडला से महज 13 किमी के दायरे में जंगल क्षेत्र लगातार अवैध कटाई के चलते सिमटते जा रहा है जिसे लेकर वन विभाग मौन है और कार्यवाही किये जाने की बात भी कर रहे है। नेशनल हाईवे रायपुर जबलपुर पक्की सड़क मार्ग से लगे हुए सागौन के प्लांटेशन से लगातार प्रायोजित तरीके वन तस्करों के द्वारा खुलेआम बेशकीमती सागौन वृक्षों की अधिक मात्रा मे अवैध कटाई कर तस्करी किया जाने लगा है जिसकी कटाई हाँथ आरा मे किया गया चिरान, बेखौफ होकर बनाया गया जंगल के बीचो बीच चोरो को ठहरने के स्थान बना हुआ जिससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुलेआम तस्करों के द्वारा बाहरी व्यक्तियों को बेचे जाने के शंका को नकारा नही जा सकता।और ना वन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत को भी नही नकारा जा सकता ,पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने वन विभाग असफल दिख रहा है यूं कहें कि वन विभाग अवैध कटाई व वन तस्करों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रहा है कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सड़क किनारे खुलेआम लगातार वन तस्करों के द्वारा अवैध कटाई को अंजाम दिया जा रहा है लेकिन यहा तैनात फारेस्ट गार्ड, चैकीदार और डिप्टी रेंजर के द्वारा रोकथाम क्यों नहीं की गई और वह भी वन विभाग के ठीक नाक के नीचे अवैध कटाई सागौन ठूंठ के निशान तस्करों के साथ मिलीभगत होने की ओर ईशारा कर रहा है। जैसे भी हो खुलेआम सागौन वृक्षों की कटाई होने का भरपाई नहीं किया जा सकता लेकिन मैदानी अमले के वन कर्मचारियों के द्वारा शुरुआती दौर में ही सघन जांच-पड़ताल किए जानेे से बेशकिमती सागौन वृक्षों का दूर्दशा नहीं होता और खुलेआम वन तस्करों के द्वारा सागौन लकड़ी को चोरी नहीं किया जाता। लाखों रुपयों की क्षति छत्तीसगढ़ वन विभाग का हुआ है जिसका भरपाई करना मुश्किल है ।
सागौन की अवैध कटाई आधिकारी मौन

वर्षों से हो रही अवैध कटाई पर वन विभाग का मौन रहना आश्चर्यजनक है। एक ओर तो कृषक वन भूमि पर कटाई कर अवैध कब्जा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लकड़ी तस्कर इमारती लकड़ी विशेषकर वेशकीमती सागौन की लकड़ी की अवैध कटाई कर उसे चोर चोरी छुपे फर्नीचर बनाकर बेचने में निरंतर बेखौफ लगे हैं। यह भी सही हैं कि अवैध कटाई से लेकर फर्नीचर के निर्माण व बिक्री का पूरा कार्य खुलेआम चल रहा है। फिर भी वन विभाग के अधिकारियों का आंख मूंदकर बैठना यह साबित करता है कि जंगलों की अवैध कटाई वन विभाग की सरपरस्ती पर खुलेआम चल रही है। जंगलों के संरक्षण संवर्धन तथा वनों की सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रतिवर्ष क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है किंतु पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने में वन विभाग पूरी तरह असफल रहा है या यूं कहें कि वन विभाग अवैध कटाई व वन तस्करों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रहा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
वन सुरक्षा समितियां हैं पंगु
शासन ने पर्यावरण को बढ़ावा देने वनों की सुरक्षा करने गांव-गांव में वन सुरक्षा समितियों का गठन भी किया है जो वनों की सुरक्षा के साथ साथ पर्यावरण जागरूकता के लिए भी कार्य करती हैं किंतु यहां तो वन सुरक्षा समिति सिर्फ कागजों में बनी हुई है। इसलिए वनों की सुरक्षा ताक पर है और वन तस्कर खुलेआम शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाकर सागौन के पेड़ो को काट कर चोरी कर रहे हैं। नेशनल हाईवे के किनारे ही दर्जनों तादाद में सागौन के पेड़ों की कटाई दिखाई दी।

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