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अव्यवस्था के बावजूद जिले में लगभग सत्तर फीसदी धान खरीदी 

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कवर्धा , कबीरधाम जिले में 108 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी किया जा रहा है। जहां पर मूलभूत सुविधाओं का आभाव है । कुछ जगहों पर किसान के धान में खुलकर कांटा मारी किया जा रहा है। जिसे रोकने में शासन प्रशासन नाकाम दिखाई दे रहे है तो कही पर जगह के अभाव के चलते खरीदी करने में उपार्जन केंद्र प्रभारी को भारी दिक्कत भी हो रहा हैं । इन सभी समस्याओं के बावजूद सत्तर, पचहत्तर फीसदी खरीदी पूर्ण हो गया है लेकिन उठाव की स्थिती बेहद खराब है जिसके चलते किसान और प्रभारी दोनों परेशान हैं । कबीरधाम जिले के सीमाओं में स्थित खरीदी केंद्रों में अन्य राज्य के धान को खुलेआम खपाया जा रहा है जिसे रोक पाने में जिम्मेदार सक्षम नजर नहीं आ रहे है।
किसानों से खुलेआम लुट 
कबीरधाम जिले में किसानों के धान को खरीदने के लिए 108 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। जहां पर किसान प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान बेचने जाते है। किसान खरीदी केंद्र में कोई दिक्कत न हो इसे ध्यान में रखते हुए अपने घर से प्लाटिक बोरी में 41 किलो तौल कर ले जाते है जो जुट के वारदाना में 41किलो 200, 300 ग्राम आता है जबकि नियमानुसार 40 किलो 700 ग्राम की तौल होना चाहिए। किसानों के मना करने पर उपार्जन केंद्र प्रभारी धान को रिजेक्ट कर देते है या फिर उनसे वजन में और बढ़ा लेते है । 
उठाव नहीं होने से खरीदी में परेशानी 
कबीरधाम जिला के लगभग 80 प्रतिशत उपार्जन केंद्रों में लिमिट से अधिक धान का भंडारण है जिसका उठाव नहीं हो रहा है जिसके चलते धान खरीदी के लिए जगह की दिक्कत बनी हुई है। किसान और उपार्जन केंद्र प्रभारी दोनों परेशान हैं । उठाव के लिए डी ओ तो जारी कर दिया गया है जो ऊट के मुंह में जीरा के बराबर है। खरीदी केंद्र कोदवा गोंडान , तरेगांव जंगल सहित कई ऐसे उपार्जन केंद्र है जो कमी और गड़बड़ी में मशहूर है बावजूद वहां के खरीदे गए धान का परिवहन नहीं होना । कई प्रकार के संदेह को जन्म देता है जबकि चिन्हांकित उपार्जन केंद्रों में मौजूद धान का परिवहन अविलंब कराना चाहिए जो नहीं हो पा रहा है।
सीमावर्ती में बने बैरियर महज दिखावा 
समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी किया जा रहा है । कबीरधाम जिले में मैदानी इलाकों में धान का उत्पादन बढ़िया रहता हैं जहां पर कोई दिक्कत नही है लेकिन वनांचल क्षेत्र में प्रति एकड़ 5 से 10 क्विंटल ही उत्पादन आता है । जिसकी जानकारी जिम्मेदारों को भी है । वनवासी बैगा, आदिवासियों के वन अधिकार पत्र , पट्टा की जमीन का पंजीयन कराकर व्यापारी अन्य राज्य या अन्य जिलों से धान लाकर बेच रहे हैं। जिसकी जानकारी उपार्जन केंद्र प्रभारी को भी है लेकिन किसानों के टोकन होने के कारण मजबूरी में खरीद रहे है । अवैध परिवहन को रोकने के लिए बैरियर और जो टीम गठित किया गया है जो समझ दिखावा साबित हो रहा है। वनांचल क्षेत्र के कई ऐसे खेत है जहां धान तो क्या प्रति एकड़ 21 क्विंटल पैरा का उत्पादन नहीं हो पाता । जिसकी जानकारी वनांचल के निवासी और खेती करने वाले को भी है।
कोरम पूर्ति करते है नोडल अधिकारी 
धान खरीदी में किसी भी प्रकार का कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए सभी उपार्जन केंद्रों के लिए नोडल अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो केवल कागजों पर दिखाई देता है। उपार्जन केंद्रों में किसानों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है। शनिवार या रविवार को सप्ताह में एक दिन अपना मौजूदगी दिखाकर खानापूर्ति कर लेते है जबकि उक्त दोनों दिन खरीदी बंद रहता हैं जिसके कारण किसान भी नही रहते जबकि नोडल अधिकारियों को शासन प्रशासन और किसान ,उपार्जन केंद्रो के बीच मध्यस्थता का कार्य करना चाहिए।
भौतिक सत्यापन की आवश्यकता 
उपार्जन केंद्रों में किसानों के कमाई को खुलेआम काटा मारी करते हुए नियमों को ताक में रखकर खरीदी कर रहे हैं। उपार्जन केंद्रों में रखे धान की बोरी को तौल करने से सारी गड़बड़ी उजागर हो जाएगा साथ ही जो किसान अभी भी धान बेचने के लिए बचे हुए है उनके घर में धान है या नहीं उसका भी सत्यापन करने की आवश्यकता है। बाजार में व्यापारियों को धान की खरीदी पर रोक लगाना चाहिए और अन्य जिला या राज्य से धान की परिवहन पर कड़ाई से रोक लगाए जाने की आवश्यकता

 

 

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