कवर्धा , छत्तीसगढ राज्य के वन मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में साल बीजों को निर्धारित दर से आधा मूल्य और उससे भी कम भाव पर कोचिया घूम घूम कर खरीद रहे ।इन व्यापारियों और कोचियों पर विभाग कोई कार्यवाही नही कर रहे है। कोचिया गांव गांव में घूम रहे हैं साथ ही हाट बाजार में पसरा लगाकर वन विभाग के परिक्षेत्र मुख्यालय चिल्फी , रेंगाखार सहित वनांचल के सभी बाजार में खरीद रहे है ऐसा नही कि इसकी जानकारी उन्हें नही है बावजूद कोई कार्यवाही नही कर रहे हैं ।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख वनोपज में से एक साल के बीज संग्रह का सही दाम ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। जंगल की तमाम कठिनाइयों और जद्दोजहद कर संग्रह किए गए इन बीजों को ग्रामीण व्यापारियों व बिचौलियों को 8 से 12 रुपये में बेचने को मजबूर हैं। खास बात यह है कि सरकार की ओर से साल बीज का दाम 20 रुपये तय किया गया है। ऐसे में बिचौलिए कमा रहे हैं और ग्रामीण ठगी का शिकार बन रहे हैं।
वनवासियों के आय में काटामारी
वनवासियो के मुख्य आय के श्रोत में वन उत्पाद का महत्वपूर्ण योगदान है। जंगल में ऐसे कई उत्पाद हैं, जिसका उचित दोहन वनवासियों के जीवन को मुख्यधारा में लाने का काम करता है। जंगल से निकलने वाले वनोपज चिरौंजी, हर्रा- बहेरा, गोंद, सरई के बीज वनवासी एकत्र करते हैं। फिर इसे तय दरों पर वनोपज संघ खरीदता है। इन दिनों जंगल में साल सरर्ई के बीज बड़ी मात्रा में गिर रहे हैं। वनवासी इन्हें एकत्र कर, सुखाने और दलने का जतन पूरा कर रहे हैं लेकिन वनोपज की खरीदे में लगे महिला समूह के द्वारा लोगो को जागरूक नही कर रहे है ।
कार्यवाही की आवश्यकता
वनांचल क्षेत्र में जितने भी व्यापारी है उनके द्वारा वनोपज की खरीदी खुलेआम करते है । जिसका मुख्य कारण है वन मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र । जंगल के सभी व्यापारी अपने आप को वन मंत्री के करीबी होने का धौंस दिखाकर वन अफसरों को धमकाते है । इन व्यापारियों पर छापे मार करते हुए ठोस कार्यवाही की जरूरत है ।