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विधानसभा में भावना बोहरा ने उठाया एनएच 130ए निर्माण में गड़बड़ी का मुद्दा, निर्माण कार्य की जांच व ठेकेदार और संलिप्त अधिकारियों पर की कार्यवाही की मांग

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रेडी-टू-ईट का कार्य महिला स्वयसहयता समूहों को पुनः मिलने से वे आर्थिक व मानसिक रूप से होंगी सशक्त : भावना बोहरा

आंगनबाड़ी सहायिकाओं को प्रशिक्षण एवं बच्चों को पर्याप्त पोषण के साथ डिजिटल शिक्षा भी देना आवश्यक है : भावना बोहरा

छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र में आज पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने अपनी निरंतरता दिखाते हुए क्षेत्र एवं प्रदेश से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर प्रश्न किये। इस दौरान भावना बोहरा ने शून्यकाल के दौरान पंडरिया विधानसभा अंतर्गत हो रहे पोड़ी वाह्य पंडरिया से पांडातराई तक नेशनल हाइवे निर्माण कार्य में हो रही अनियमितता एवं गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य को सदन के समक्ष रखा और निर्माण कार्य की जांच कर इसमें लापरवाही करने वाले ठेकेदार एवं संलिप्त अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की। भावना बोहरा ने कांग्रेस शासन में स्वयसहयता समूहों की महिलाओं से रेडी-टू-ईट का कार्य वापस लेने के विषय में भी मांग की है कि जल्द से जल्द उन महिलाओं को यह कार्य पुनः दिया जाए जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। इसके अलावा उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यरत महिलाओं को और सशक्त, बच्चों को पर्याप्त पोषण एवं डिजिटल शिक्षा तथा मानव तस्करी के विषय में भी सदन का ध्यानआकर्षण किया।
भावना बोहरा ने विधानसभा में कहा कि पंडरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत निर्माणाधीन नेशनल हाइवे 130ए जो की पंडरिया होते हुए मुंगेली-तखतपुर-बिलासपुर तक टू-लेन सड़क के निर्माण हेतु केंद्र सरकार द्वारा 351.19 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। यह सड़क पंडरिया विधानसभा के क्षेत्र पोड़ी वाह्य पंडरिया से पांडातराई होकर गुजरती है, जिसके निर्माण कार्य की गति बहुत ही धीमी है और विगत 1 वर्ष से अधिक समय से इसका निर्माण कार्य चल रहा है जो अभी तक पूर्ण नही हुआ है। निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी बहुत ही निम्न स्तर की है जिससे क्षेत्रवासियों को भी असुविधा हो रही है एवं आये दिन वहां कोई न कोई दुर्घटनाएं घटित हो रहीं हैं। इस संबंध में जनता से लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर मैनें पूर्व में भी कलेक्टर से लेकर एनएच के अधिकारियों को पत्र लिखकर इसकी शिकायत भी की है, लेकिन संबंधित ठेकेदार पर न कोई कार्यवाही की गई और ना ही निर्माण कार्य की जांच की गई। बल्कि समयावधि पूर्ण होने के बाद भी निर्माण कार्य अधूरा है लेकिन ठेकेदार को समय-समय पर पैसों का भुगतान किया जा रहा है। निर्माण कार्य में ख़राब निर्माण सामग्री उपयोग करने एवं कार्य धीमी गति से चलने के बाद भी ठेकेदार को समय पर भुगतान मिलने से कहीं न कहीं इसमें कुछ अधिकारियों की संलिप्तता भी संदेह के घेरे में हैं।
उन्होंने आगे कहा कि निर्माण में उपयोग किये जा रहे निर्माण सामग्रियों की गुणवता स्तरहीन है। इसकी वजह से पंडरिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांडातराई एवं पंडरिया सहित आस-पास के विधानसभा की आम जनता को अपने दैनिक व रोजमर्रा के कार्यों तथा नौकरी पेशा लोगों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पोंडी से पांडातराई एवं पंडरिया आने वाले लोगों को पोंडी से आगे सारंगपुर चोरबट्टा एवं मोहगांव, कुंडा होकर आवागमन करना पड़ रहा है जिससे उन्हें 20 से 30 किलोमीटर अतिरिक्त सफ़र करना पड़ रहा है। इससे उनके समय व पैसे दोनों व्यय हो रहें हैं। हल्की बारिश में ही सड़क में बेस कार्य के लिए डाली गई मिट्टी पूरी तरह बह गई थी जिसकी वजह से पोंडी से मुंगेली तक सड़क पर कीचड़ का जमाव हो गया था मार्ग पर आवाजाही बंद थी। सड़क पर कीचड़ होने की वजह से विधानसभा की जनता को रोजाना अपने दैनिक, निजी व आवश्यक कार्यों के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर इस मार्ग में सफ़र करना पड़ रहा है, वहीं रोजाना सड़क हादसे की खबरे भी सामने आ रही हैं। सूचना भी मिली है की जहाँ निर्माण कार्य हो रहा है वहां पर किसी भी प्रकार की कोई चेतावनी, सांकेतिक बोर्ड अथवा सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध भी नहीं किये गए हैं जो पूर्ण रूप से निर्माण कार्य कर रहे ठेकदार की लापरवाही को उजागर करती है। उन्होंने सदन के समक्ष इन तथ्यों के आधार पर इस विषय को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए उक्त ठेकेदार पर कार्रवाई एवं जनहित के लिए निर्माण कार्य की जांच व इसमें संदेही व जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की है।
इसके साथ ही भावना बोहरा ने कहा कि पूर्व में भाजपा सरकार ने स्वयसहयता समूह की माताओं-बहनों के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु सार्थक प्रयास करते हुए उन्हें रेडी-टू-ईट के कार्य की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन पूर्व की कांग्रेस सरकार ने उनसे यह अधिकार छिनकर अपने करीबियों को लाभ दिलाने के लिए निजी ठेकेदारों को इस कार्य को सौंप दिया, इससे प्रदेश की लाखों स्वसहयता समूह की महिलाएं प्रभावित हुईं और उन्हें आर्थिक नुकसान भी हुआ है। उन्होंने सदन से कहा की महिला स्वसहयता समूह की उन माताओं-बहनों को उनका अधिकार मिलना चाहिए इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि रेडी-टू-ईट का कार्य पुनः स्वसहायता समूहों को देने के लिए हमारी सरकार जल्द ही इस विषय में सकारात्मक प्रयास करें और निर्णय लें जिससे उन लाखों माताओं-बहनों को फिर से रोजगार मिलेगा और वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सके।
भावना बोहरा ने आंगनबाड़ी में कार्यरत महिलाओं को सशक्त बनाने एवं आधुनिकता के साथ उन्हें आगे बढ़ाने के विषय में भी प्रश्न करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्य करने वाली महिलाओं को सशक्त बनाने एवं डिजिटल शिक्षा से जोड़ते हुए आधुनिकता के साथ कदम बढ़ाने के लिए समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण देने की बात कही। उन्होंने केन्द्रों में पर्याप्त सुविधाओं, अच्छे भवन, बच्चों की बैठक व्यवस्था से लेकर मूलभूत सुविधाओं की कमी के बारे में भी सदन को अवगत कराया और इन केंद्रों में बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए डिजिटल शिक्षा को भी एक महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए बच्चों को मनोरंजन के साथ उनके बौद्धिक विकास पर भी जोर देने की बात कही जिसके लिए उन्होंने केंद्रों में टीवी के माध्यम से शिक्षा, डिजिटल वर्णमाला प्रोग्राम, वॉइस लर्निंग जैसी बौद्धिक विकास करने वाले गतिविधियों का भी संचालन किये जाने की मांग की। बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए भावना बोहरा ने आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलने वाले भोजन में पर्याप्त प्रोटीन की मात्रा सुनिश्चित करने और आंगनबाड़ी केंद्रों के समयावधि, किस केंद्र में कितने बच्चे रोजाना आ रहें हैं, कितनी उपस्थिति हैं, कौन कौन बच्चे नियमित रूप से आ रहें हैं इसके लिए व्यवस्थाओं को भी सुदृढ़ करने की मांग प्रमुखता से की है।
हाल ही में बच्चों की गुमशुदगी के विषय में भी भावना बोहरा ने चिंता व्यक्त करते हुए उनकी सुरक्षा एवं मानव तस्करी व अपहरण जैसे संवेदनशील मामले के लिए भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विगत 5 से 6 माह में बहुत सी मानव तस्करी की घटनाएँ एवं बच्चों के अपहरण जैसे विषय संज्ञान में आ रहें हैं। इस संबंध में पुलिस प्रशासन द्वारा किया प्रयास किये जा रहें हैं तथा बच्चों एवं नाबालिक लड़कियों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन को क्या निर्देश दिए गए हैं इस संबंध में भी उन्होंने चर्चा की। भावना बोहरा ने कहा कि अब तक कितने बच्चों/नाबालिक लड़कियों की गुमशुदगी के मामले सामने आए हैं, उनमें पुलिस प्रशासन व विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की जा रही व कितने बच्चो की सुरक्षित घर वापसी हुई है एवं उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि परिजनों के साथ-साथ बच्चों को भी इस विषय में जागरूक करने की आवश्यकता है इसके लिए विद्यालयों में सप्ताह में कम से कम एक दिन इसके लिए विशेष सत्र चलाया जाए, जहाँ बच्चों को भी ऐसे संदिग्ध लोगों से बचने के लिए जागरूक किया जा सके।

 

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