BP NEWS CG
Breaking Newsलेखसमाचार

पंचमुखी बुढा महादेव मंदिर में 1994 अखण्ड रामधुनी संकीर्तन अनवरत चालू 

Flex 10x20 new_1
IMG_20241217_222130
previous arrow
next arrow
0 भगवान की दर्शन करने दूर दूर से आते हैं लोग 
एडिटर इन चीफ~ भुवन पटेल 
कवर्धा , जिला मुख्यालय में सिद्घपीठ उमापति पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर में आदि काल से स्वयंभू स्थापित पंचमुखी शिवलिंग की ख्याति दूर-दूर तक है। संकरी नदी के तट पर आदि काल से स्थापित पंचमुखी शिवलिंग वर्तमान में उमापति पंचमुखी बूढ़ा महादेव के नाम से जाना जाता है। रियासत काल में कवर्धा रियासत के प्रथम राजा महाबली दिवान का महल इसी क्षेत्र में बना था, जिस स्थान पर पंचमुखी शिवलिंग है। वह साधु-संतों की तपोभूमि भी रही है। बूढ़ा महादेव मंदिर में दिव्य पंचमुखी शिवलिंग रियासत काल से भी पूर्व स्वयंभू शिवलिंग है। 10 मार्च 1994 से सीताराम नाम संकीर्तन महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जो अबतक अनावरत चालू है । 
पांच-पांच मुख वाले शिवलिंग एक-एक शिवलिंग में पांच-पांच मुख है। कुल 25 लिंगों का अद्भूत शिवलिंग है। सांख्य दर्शन के लिए अनुसार भगवान शंकर पंचभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु हैं। पंचमुखी बूढ़ा महादेव के शिवलिंग भी इसी तरह है। माना जाता है कि यह दुर्लभ और अद्वितीय शिवलिंग है, जिसके चलते ही इसकी ख्याति है।
सावन मास के प्रथम सोमवार को होता है पदयात्रा 
सावन मास के प्रथम सोमवार को यही से पदयात्रा शुरू होता हैं भोरमदेव मन्दिर तक जाता है साथ ही कावरियों के द्वारा अमरकंटक से जल लेकर इसी मंदिर में चढ़ाते है ।श्रद्घालुओं की मनोकामना पूरी होती गई और मंदिर की भव्यता बढ़ती गई। किंतु कुछ वर्षों से दिव्य पंचमुखी शिवलिंग में अनवरत जलाभिषेक और बार-बार हाथों के स्पर्श शिवलिंग का क्षरण होने लगा। पांच मुख वाले इस शिवलिंग में एक मुख का लगभग क्षरण हो चुका है और दूसरे पर भी तेजी से क्षरण हो रहा है। पांचों मुखों की आकृति के विलोपित होने की संभावना है। ऐसे में इसके सरंक्षण को लेकर पहल की गई। इस पर तांबे का कवर लगाया गया, ताकि श्रद्घालु इसे ऊपर से ही स्पर्श कर सके।
कवर्धा की रियासत में साधु-संतों की तपोभूमि
रियासत काल में कवर्धा रियासत के प्रथम राजा महाबली दिवान का महल इसी क्षेत्र में बना था, जिस स्थान पर पंचमुखी शिवलिंग है। वह साधु-संतों की तपोभूमि भी रही है। बूढ़ा महादेव मंदिर में दिव्य पंचमुखी शिवलिंग रियासत काल से भी पूर्व स्वयंभू शिवलिंग है।
छत्तीसगढ़ का अद्वितीय शिवलिंग
पांच-पांच मुख वाले शिवलिंग एक-एक शिवलिंग में पांच-पांच मुख है। कुल 25 लिंगों का अद्भूत शिवलिंग है। सांख्य दर्शन के लिए अनुसार भगवान शंकर पंचभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु हैं। पंचमुखी बूढ़ा महादेव के शिवलिंग भी इसी तरह है। माना जाता है कि यह दुर्लभ और अद्वितीय शिवलिंग है, जिसके चलते ही इसकी ख्याति है। 
अनावरत तीस वर्षों से सीताराम नाम संकीर्तन 
संवत 2050 सन,10 मार्च 1994 दिन गुरुवार महाशिवरात्रि पर्व के दिन से सीताराम नाम संकीर्तन महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जिसमे सीताराम नाम का भजन अनावरत चालू है जिसमे दूर दूर के लोग आते है ।जो अबतक अनावरत चालू है ।

Related posts

वरिष्ठ नेता श्री तुकाराम कांग्रेस में शामिल

Bhuvan Patel

बाल ~बाल बचें,चिल्फी के समीप तेल से भरा ट्रक पलटा , कोई हताहत नही

Bhuvan Patel

प्रधान आरक्षक कोमल सिंह को सेवानिवृत्त होने पर भावभिनी विदाई

Gayatri Bhumi

Leave a Comment