कवर्धा , कबीरधाम जिला महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के विभिन्न गतिविधियों में प्रथम स्थान प्राप्त करता है जिसके पीछे मजदूर और हितग्राही नही है बल्कि विभाग के अधिकारी कर्मचारी है जिनके द्वारा ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के बजाए बढ़ावा देते है । कार्य एजेंसी भी मजबूर नजर आते है और टेंशन मुक्त भी रहते है क्योंकि कार्यवाही करने वाले लोग ही जिम्मेदार होते है । कबीरधाम जिला के सहसपुर लोहारा जनपद पंचायत इस मामले में सबसे आगे है साथ ही चर्चित भी है ।
ठेकेदारी प्रथा हावी
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में ठेकेदारी प्रथा पूर्णतः प्रतिबंधित है लेकिन कुछ चिन्हाकिंत और ऊंची पकड़ के लोगो इस कार्य में संलिप्त है जिनके कारण मजबूरी में लोग कुछ नही कर पाते । मनरेगा माफिया लोग स्वयं ग्राम पंचायत के भ्रमण करते हुए मनमाफिया जगह पर कार्य स्वीकृत कराते है और कार्य एजेसी सरपंच के ऊपर उच्चस्तरीय दबाव बनवाकर निर्माण कार्य को सम्पन्न कराते है ।
कार्य एजेंसी मजबूर
मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत में कोई भी कार्य की स्वीकृति आदेश जारी होता है उसमे कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया जाता है लेकिन कार्य एंजेसी को उच्चस्तरीय दबाव बनाया जाता हैं जिससे कार्य एजेंसी मजबूर हो जाता है और उक्त मनरेगा माफियाओं के कटपुतली के रूप में नजर आते है ।
मजदूरों की जगह मशीनरी का उपयोग
जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा में सबसे ज्यादा मनरेगा योजना अंतर्गत निर्माण कार्य की स्वीकृति आदेश जारी हुआ है । जिसमे मजदूरों से करू नही के बराबर लिया जाता है । जिसका मुख्य वजह है कि कार्य एंजेसी को भी कमीशन देना होता है जिसके चलते पांच ,सरपंच के परिवार और उनके चहेते के नाम पर मस्टरोल जारी करके मजदूरी राशि का हाजरी भर दिया है और कार्य में जे सी बी का उपयोग कर लिया जाता है ।
मनरेगा के कार्यों में पर्दशिता की कमी
सहसपुर लोहारा जनपद पंचायत के अंतर्गत चल रहे मनरेगा के कार्यों में पारदर्शिता की कमी दिखाई देता है । कार्य प्रारंभ करने के पूर्व कही पर भी नागरिक सूचना पटल का निर्माण नही किया जाता है । जब कार्य संपन्न होता या फिर आडिट कराना होता है उस समय नागरिक सूचना पटल का निर्माण कराया जाता है ।
जिम्मेदार की भूमिका संदेह में
मनरेगा योजना अंतर्गत निर्माण कार्य का सुचारू रूप से संचालन करने के लिए अलग अलग जिम्मेदारी तय किया गया है।जिनके द्वारा अपने जिम्मेदारी का निर्वहन ईमानदारी से नही किया जा रहा है क्योंकि उन्हें पता है कि निर्माण कार्य को कार्य एजेंसी नही बल्कि ठेकेदार और रुतबे दार व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है ।जिम्मेदारों के द्वारा अपनी जिम्मदारी का निर्वाहन आफिस में बैठ कर ही किया जा रहा है । यदि जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा कार्य स्थल पर जाकर निरीक्षण करते तो कार्य की व्यवस्था में सुधार दिखाई देता ।
20 किमी के दूर मजदूर के भरोसा निर्माण
जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा के ग्राम पंचायत पटपर में पुलिया निर्माण कार्य गोरे लाल के खेत के पास किया जा रहा है जिसमे कुछ मजदूर सहसपुर लोहारा के आगे के गांव से आते है और मजदूर स्थानीय ग्राम के भी है । निर्माण कार्य स्थल पर दिन में एक चौकीदार और रात में दो चौकीदार ठेकेदार की निर्माण सामग्री की देखरेख और कार्य को पूर्ण कराने में लगे रहते है । कार्य स्थल पर मौजूद ठेकेदार के कर्मचारी ने ही बताया कि सरपंच सचिव नही बल्कि ठेकेदार ने ही इस पुलिया को पास करवाया है और पंचायत वालो को कमीशन देकर खुद काम को करा रहा है ।