विधानसभा चुनाव के मतदान की तिथि को अब मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं सियासी सरगर्मी तेज हो चली है विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब चौराहो
गली मोहल्ला में चर्चा चल पडीं है पंडरिया और कवर्धा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनता किसे नकारेगी और किसे स्वीकारेगी विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा एक ओर कवर्धा और पंडरिया विधानसभा में विजय परचम लहराने हर संभव कोशिश कर रही है पंडरिया और कवर्धा विधानसभा क्षेत्र में इस बार बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है पार्टी के तमाम छोटे बड़े नेता लगातार कार्यक्रमों में शक्ति फुकने की कोशिश में जुटे हुए हैं जहां एक तरफ भावना बोहरा बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में जो आजमाइश कर रही हैं दूसरी और मोहम्मद अकबर के खास माने जाने वाले नीलकंठ चंद्रवंशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है वहीं दूसरी ओर कवर्धा और पंडरिया विधानसभा के प्रत्याशी मोहम्मद अकबर और नीलकंठ चंद्रवंशी कांग्रेस को बढ़त दिलाकर प्रदेश के कांग्रेस के सियासत में वे स्थापित होना चाहेंगे 2018 के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के साथ विधायक बने मोहम्मद अकबर की प्रतिष्ठा दांव पर है यहां भाजपा के विजय शर्मा और मोहम्मद अकबर के बीच रोचक मुकाबला है कवर्धा और पंडरिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को गत विधानसभा चुनाव में बड़े अंतराल से हार का सामना करना पड़ा था क्या कांग्रेस 2018 विधानसभा की तरह इस बार भी अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी या फिर भाजपा केसरिया परचम लहराकर पिछले विधानसभा चुनाव के हार का बदला चुकायेगी जिले के वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो दोनों सीटें कवर्धा व पंडरिया पर कांग्रेस का कब्जा है अब जनता उनके क्षेत्र में हुए विकास का आकलन कर अपना मतदान करने को तैयार है बस उसे इंतजार है तो मतदान के तारीख का जैसे-जैसे चुनाव का समय चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे ही बुराइयां लोगों में उजागर होने लगी है 5 साल तक भरपूर आनंद लेने के बाद अब जनता का समय आ गया है तो अब नेता भी पांव पडने से भी नहीं चूक रहे हैं विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का माहौल गर्माने लगा है इस बार कवर्धा पंडरिया विधानसभा में चुनाव को ज्यादा रोमांचक और परिणाम वाला माना जा रहा है हालांकि बीजेपी और कांग्रेस के सीधे टक्कर वाले इन दोनों सीटों पर इस बार मुकाबला आसान नहीं है दोनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशी इन दिनों क्षेत्र में सघन जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए हैं यहां यह कहना अभी मुश्किल है कि तीसरी पार्टी की दमदार उपस्थित बीजेपी और कांग्रेस में किसके लिए अधिक फायदेमंद होगा वही इन दोनों सीटों से चुनाव लड़कर विधायक बनने का सपना संजोने वाले उम्मीदवार अपने-अपने पास से फेंक कर गोटिया फिट करने में लगे हुए हैं जो नेता कभी अपने घर से बाहर नहीं निकलते थे आज वह नेता गांव गांव रैलियां और दौरा कर रहे हैं ऐसे में यह कयास लगाना मुश्किल होगा की बाजी किसके पक्ष में होगी ऐसे माहौल में बात करें हम पंडरिया विधानसभा की पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से अनेक जनप्रतिनिधि हुए परंतु आज तक इस क्षेत्र की हालत जस के तस है गरीब आदिवासी और पिछड़े क्षेत्र का कलंक आज भी इस क्षेत्र से नहीं हट पाया है वर्तमान चुनाव में विकास भी एक अहम मुद्दा है जिसके दम पर सत्ता पक्ष अपनी जीत सुनिश्चित मान रहा है इधर क्षेत्र में किए गए ऐसे विकास कार्य की जमीनी हकीकत का नजारा कुछ ऐसा है जो खुद ही अपने अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रहा है फिलहाल चुनाव मैदान में उतरे तमाम प्रत्याशी अपने प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं