कवर्धा , कबीरधाम जिले में छोटे बड़े सभी प्रकार के कोचिया के द्वारा राशनकार्ड धारियों को उचित मूल्य की दुकानों से मिलने वाले फोर्टिफाइड चावल को खुलेआम खरीदा जा रहा है जिस पर किसी भी जिम्मेदारों ने कार्यवाही नही कर रहे हैं बल्कि उन्हें पनाह दे रहे है। जो समझ से बाहर है। सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना के तहत गरीबों को बांटा जाने वाला चावल, कुछ मुनाफाखोरों के लिए मोटी कमाई का जरिया बन चुका है। दुकानों से सांठ-गांठकर दलाल इसे खरीद रहे हैं, 16 से 18 रुपए में मिलर या थोक कारोबारियों को इसे बेचा जा रहा है। सरकारी योजना के फोर्टिफाइड चावल को सिर्फ गरीब जरूरतमंद राशनकार्ड धारियों के लिए उपयोग किया जाता है। इसका व्यापारिक इस्तेमाल गैर कानूनी है।
विक्रेता से लेकर राइस मिलर शामिल
जिले में उचित मूल्य की दुकान खुलने का दिन व समय निर्धारित है जिसकी जानकारी कोचियो को होता है। दुकान खुलने के दिन कोचिया गावो में घूम घूमकर चावल की खरीदी करता है या फिर अधिकांश उचित मूल्य की दुकानें साप्ताहिक बाजार के दिन खुलता है और कोचिया बाजार में दुकान लगाकर खरीदी करता है। उसके बाद उक्त चावल को राइस मिलर के पास बेच देता है । राइस मिलर उसी चावल को पुनः पैकिंक कर उचित मूल्य की दुकानों में भेज देता है ।
खाद्य विभाग कार्डधारियों की संख्या के हिसाब से सोसायटियों को चावल का आबंटन हर महीने देता है। बीपीएल के एक परिवार को एक रुपये में 35 किलो चावल और बीपीएल को 10 रुपये प्रति किलो चावल के हिसाब से खाद्य विभाग आबंटन भेज देता है। एपीएल में एक बार राशन ले जाने के बाद हितग्राही दूसरे महीने नहीं ले जाते। यही बचा हुआ चावल आसानी से बेच दिया जाता है।
ज़िम्मेदार मौन
राइस मिलर को कस्टम मिनलिंग के तहत धान के बदले चावल देना होता है । छत्तीसगढ़ में धान का भाव ज्यादा होने के कारण मिलर धान को बेच देते हैं लेकिन चावल जमा करने के लिए इन कोचिया का सहारा ले रहे हैं। अधिकारियो के द्वारा राइस मिलर के उठाव और बदले में दिए जाने वाले चावल का मिलन करते तो सारी गड़बड़ी उजागर हो जाता । मिलारो का स्टॉक मिलान ही नहीं करते और न ही कोचियों के दुकान में छपामारी करते है। कोचिया फोर्टीफाईव चावल कहां से पाएगा ।