भारतीय संस्कृति में ‘रक्षाबन्धन पर्व’ की बड़ी भारी महिमा है। रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है। यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद् भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है।
आपको बता दें कि इस रक्षाबंधन के पावन अवसर पर पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित त महिला उत्थान मंडल कवर्धा के बहनों द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला जेल कवर्धा में कैदियों के सर्वांगीण विकास के लिए “कैदी उत्थान कार्यक्रम” का आयोजन किया गया था।
इस दौरान स्वाति बहन के द्वारा कैदी भाइयों को दैनिक दिनचर्या, स्वास्थ्य सुरक्षा, नशे के दुष्परिणाम एवं उनसे बचने के उपाय सहित वैदिक रक्षा सूत्र का पौराणिक महत्व बताया गया।
तत्पश्चात जेल अधीक्षक राजेन्द्र बंजारे सहित सभी स्टाफ एवं वहाँ मौजूद सैकड़ो कैदियों को वैदिक रीति व मंत्रोचार के साथ वैदिक रक्षासूत्र बाँधकर उनके प्रति अपने शुभ भावों को व्यक्त किया। उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें आश्रम द्वारा प्रकाशित सत्साहित्य दिव्य प्रेरणा-प्रकाश, मधुर व्यवहार, जीवन विकास, नशे से सावधान, ऋषि प्रसाद पत्रिका तथा मिठाई, फल वितरित किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजन में महिला उत्थान मंडल की कांति साहू, किरण साहू, सुलोचना तारम, एवं यामिनी यादव इत्यादि बहनों का विशेष योगदान रहा।
सामूहिक वैदिक रक्षाबंधन का आयोजन
पूज्य संत श्री आशारामजी बापू आश्रम-भोरमदेव में वैदिक रक्षाबंधन का आयोजन किया गया था जिसमें सैकड़ो लोग सम्मिलित हुए थे।