कवर्धा, कबीरधाम जिले में नए पुलिस अधीक्षक के कार्यभार ग्रहण करते ही लोगो की उम्मीद बढ़ गया है कि साहब के आने के बाद जिले में कुकुर मुत्ते की तरह फैल रहा कबाड़ के कारोबार पर अंकुश लगेगा । नेशनल हाइवे के किनारे या सड़क से लगे हुए सरकारी जमीन पर कबाड़ व्यापारियों का दबदबा बना बना है । इन पर आजतक न तो राजस्व विभाग कार्यवाही किया है न ही पुलिस । इससे इनके हौसले बुलंद हो रहे है । कवर्धा शहर सहित आसपास के गांवों में कबाड़ का कारोबार चरम पर है नगर के मुख्य मार्गो में कबाड़ से लदे ओवरलोड वाहन आसानी से देखे जा सकते है जिनमें कबाड़ के नाम पर सरकारी सम्प्पति भी बेखौफ होकर खपाई जा रही है नियमो व कानूनी व्यवस्था को खुली चुनौती देता यह कारोबार चोरी, नशा, बालश्रम जैसे अपराधो को बढ़ावा दे रहा है, कारोबारी बेखौफ होकर बिना लेखा-जोख के चोरी का सामान खरीद रहे जो की जिले में बढ़ते अपराध का एक मुख्य कारण बना हुआ है।
जिला में दर्जनों कबाड़खाने
कबीरधाम जिला के कवर्धा , पंडरिया, बोड़ला, लोहारा, पौड़ी, कुंडा, सिलहाटी , पिपरिया सहित अन्य गावो में कबाड़ दुकानें हैं। इन दुकानोंं के संचालकों के पास वैध लाइसेंस है या नहीं यह कोई नहीं जानता। इन दुकानों में कीमती सरकारी सामानों को पानी के मोल खरीदकर कारोबारी लाखों रुपए कमा रहे हैं। इन दुकानों में कबाड़ खरीदी-बिक्री का न तो रसीद होती है और न ही कोई रिकार्ड।
जिले से बाहरी लोगों का दबदबा
प्रशासनिक ढिलाई और राजनीतिक संरक्षण के चलते जिले के बाहर से आए लोग इस व्यवसाय में सक्रिय नजर आ रहे हैं। लोहे के सामान व घरेलू उपयोग के सामान सहित कई कीमती सामान पानी के मोल कबाड़ी अपने दलालों के माध्यम से खरीद कर लाखों कमा रहे हैं। जबकि सरकारी खजाने में कौड़ी भी जमा नहीं कराया जा रहा है। इतना ही नही गरीब तबके के बच्चो को पैसे का लालच देकर इस व्यवसाय में धकेल दिया जाता है। काम के लिए नशे की लत लगाकर गली-गली जाकर कबाड़ ढूंढने व चोरी करने के लिए मजबूर किया जाता है।
कैमिकल ड्रग्स के शिकार होते मासूम
बच्चे दिनभर बोरी लेकर सड़कों और कचरों की खाक छानते रहते हैं। शराब की खाली बोतलें इकट्ठा कर कबाड़ दुकानों में बेचते हैं। रुपयों और नशे की लालच में यही बच्चे लोहा व खाली बोतलों को कबाडिय़ों तक पहुंचाते हैं और कबाडिय़ों द्वारा इन बच्चों को और बढ़ावा दिया जाता है, ताकि उनका व्यवसाय और फल-फूल सके।
निर्धारित मापदंड का पालन नहीं
नियमों की मानें तो क्रय किया हुआ समस्त कबाड़ पंजीबद्ध होना चाहिए, हर क्रय-विक्रय की रसीद होनी चाहिए, किंतु इन दुकानों में बिना भय के, बिना लेख-जोख के चोरी का कबाड़ क्रय-विक्रय किया जाता है और इनके कबाड़ को वाहनों में ओव्हर लोड वाहनों के माध्यम से शहर के बाहर ले जाकर खपाया जाता है, यदि यह कबाड़ कागजों तक पहुंचे तो इसका राजस्व भी सरकार तक भारी मात्रा में पहुंचेगा, किंतु प्रशासनिक अमले की उदासीनता से प्रति वर्ष लाखों के राजस्व के नुकसान के साथ जिले भर में पनप रही समस्याओं को निदान नहीं हो पा रहा है।
खप रहा चोरी का माल
शहर और गांवों में संचालित कबाड़ दुकानें मुख्य रूप से ट्यूबवेल की केबल चोरी की तारें, स्प्रिंकलर पाइप, पुरानी जर्जर हो रही सरकारी भवनों के खिड़की-दरवाजे, नगर के विभिन्न मकानों से चोरी हुआ समान खपा रहे हैं। इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो शहर के विभिन्न क्षेत्रों से चोरी हुई मोटर साइकिलों एवं अन्य वाहनों को भी कटवाकर कबाड़ के भाव इन्हीं दुकानों में तौल दिया जाता हैं
इन कबाडख़ानें की स्थिति ऐसी है कि बाहर से इस बात का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है कि अंदर टीन और प्लास्टिक की जगह सरकारी लोहा, दफ्तरों की खिड़कियां व नलकूप की केबल की तारें खपाई जा रही हैं। इन कबाड़ दुकानों से दिन भर में कई ओव्हर लोड वाहन कबाड़ लेकर शहर की गालियों से होकर निकलते हैं, फिर भी इन्हें किसी बात की रोक-टोक नहीं होती। कबाड़ के कारोबारी शहर के जिम्मेदारों से अच्छे तालुकात रखते हैं, जिस वजह से इन पर कार्यवाही की गाज नहीं गिरती।
जिले का सबसे बड़ा कबाड़ कवर्धा पोड़ी में
रायपुर जबलपुर राष्ट्रीय मार्ग और कबीरधाम जिला के ग्राम पंचायत पोड़ी में जिला का सबसे बड़ा कबाड़खाना हैं जो नेशनल हाइवे से महज 100 मीटर की दूरी पर वही एक दुकान महज सौ मीटर व दूसरा पुलिस चौकी से 200 मीटर में जहां पर प्रतिदिन लाखो का व्यारा न्यारा होता हैं लेकिन अबतक किसी की नजर नही पड़ी जो समझ से परे हैं । पोड़ी कबाड़ी का हब बन गया है यहा पर तीन चार दुकानें बेधड़क संचालित हो रहा है ।
कार्रवाई का नहीं भय
बेरोक-टोक जाते ओव्हरलोड वाहन मुख्य मार्गों से सटे बाड़ों मेंं चोरी के कबाड़ का संग्रह यह बात तो स्पष्ट करता है कि इन कारोबारियों को कार्यवाही का रत्ती भर भी भय नहीं है, इतना ही नहीं किसानों के खेत से पाइप व केबल को इन दुकानों तक पहुंचाया जाता है, जिसकी खबर नगर में हर दूसरे व्यक्ति को है, फिर भी न तो पुलिस अधिकारी इन पर कार्यवाही करते हैं ।