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कबीरधाम में सोया बड़ी ,आलू, मटर के भरोसा छात्रावास और आश्रम का संचालन जिम्मेदार मौन

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कवर्धा.हमेशा सुर्खियों में रहने वाले कबीरधाम जिला के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावास और आश्रम अव्यवस्था का शिकार रहता है जिसका मुख्य वजह है कि जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति । परिजन से दूर रहकर आवासीय शिक्षा ग्रहण करने आए बच्चो का पोषण के बजाए शोषण किया जा रहा है। बाल अधिकारों का हनन किया जा रहा है बावजूद कोई झाक के देखने वाले नही जो कबीरधाम जिले के लिए दुर्भाग्य की बात है ।
सोया बड़ी, आलू , मटर से मीनू पालन
बच्चो के शरारिक,बौद्धिक विकास के लिए सरकार के द्वारा मध्यान्ह भोजन में साप्ताहिक चाट बनाकर अलग अलग दिन अलग अलग सब्जी , नाश्ता देने का मीनू तैयार किया गया है लेकिन छात्रावास और आश्रम के संचालन के लिए अधीक्षकों की नियुक्ति किया गया है उनके द्वारा किसी भी प्रकार के शासन के द्वारा बनाए गए मीनू का पालन नही किया जा रहा है । वहा पर निवास,अध्ययन कर रहे बच्चे अधीक्षक के भय के नाम से अपना मुंह नही खोल पाता। ऐसा नही कि इसकी जानकारी जिम्मेदारों को नही है सभी को है लेकिन ओहदे के अनुरूप चढ़ावा मिलने के कारण मुंह बंद कर मूकदर्शक बने हुए है ।
शिष्यवृति बढ़ी लेकिन व्यवस्था में नही हो रहा सुधार
आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित कबीरधाम जिले में एक सैकड़ा से भी ज्यादा छात्रावास और आश्रम संचालित है । जहा पर निवासरत बच्चो को पोषण के लिए प्रतिमाह एक हजार रूपए की शिश्यवृति को बढ़ाकर एक हजार पांच सौ रुपए कर दिया गया लेकिन व्यवस्था में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं हुआ । छात्रावास , आश्रम में निवासरत और अध्ययन रत बच्चो ने बताया की प्रति सप्ताह एक दस रुपए की साबुन , दस रुपए का घड़ी निरमा, दस रुपए का शांति आंवला तेल पिछले साल भी देते थे और आज भी वही दिया जा रहा है । (जे जे एक्ट के तहत बच्चो का नाम गोपनीय रखना होता है )अधीक्षक सर से और सामग्री की मांग करने पर अगले सप्ताह देने की बात बोलकर अनसुना कर दिया जाता है ।
मुख्यालय में नही रहते अधीक्षक
छात्रावास और आश्रम में छोटे छोटे बच्चे अपने परिजनों को छोड़कर शिक्षा ग्रहण करने आते है । बच्चो के परिजनों ने अधीक्षक के भरोसे अपने बच्चो को छोड़कर जाते है साथ ही बच्चो की देख भाल के लिए निवेदन भी करते है लेकिन अधीक्षक ने जिन बच्चो के देख भाल करने बदले हजारों रुपए का वेतन लेते है उन्हे चौकीदार या अन्य कर्मचारियों के भरोसे छोड़कर अपने बच्चो की देखभाल करने जिला मुख्यालय या अन्य शहरों में निवास करते है । जिले के अधिकांश अधीक्षक अपने संस्था में निवास नही करते । छात्रावास, आश्रम में सुरक्षा की दृष्टि से लगे सी सी कैमरा को देखे को सारी सच्चाई सामने आ जाएगा ।
सघन जांच की आवश्यकता
कबीरधाम जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावास और आश्रम में सरकार द्वारा जारी नियमावली को लेकर सूक्ष्मता से जांच पड़ताल करने पर तरह तरह की कमियां उजागर होने की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता। प्रति माह लाखो की फर्जी व्यय करने वाले संस्था के मुखिया बच्चो की विकास करने के बजाए स्वयं का विकास करने में कोई कसर नही छोड़ रहे है ।

सांकेतिक फोटो

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