कवर्धा , सैया भय कोटवार तो डर काहे का कहावत कबीरधाम में चरितार्थ होते नजर आ रहा है । कबीरधाम वनमंडल के वन अमला जंगलों की सुरक्षा करने में सफल दिखाई नही दे रहे हैं बल्कि भ्रष्टाचार में संलिप्त नजर आ रहे है जिसका बड़ी वजह है कि प्रदेश के वन मंत्रीऔर कवर्धा विधायक का निर्वाचन विधानसभा क्षेत्र है और पार्टी के कार्यकर्ता अपने आप को मंत्री के करीबी होने का धौंस दिखाकर अपना प्रभाव जमाने में सफल हो रहे है और विभागीय अमला मजबूर दिखाई देते है ।जिसके चलते निर्माण कार्यों में गुणवत्ता दिखाई नही दे रहा है और समय से पूर्व क्षतिग्रस्त हो रहा है ।
लाखो की निर्माण को हजारों में संपन्न
कबीरधाम वनमंडल के वन परिक्षेत्रों में लगभग जितने भी निर्माण कार्य हुआ है सभी में गुणवत्ताहीन दिखाई दे रहा है साथ ही प्राकलन के अनुरूप कार्य भी नही किया जा रहा है हाल ही में रेंगाखार परिक्षेत्र उमरिया से पथरा टोला रोड में चार नग रपटा निर्माण किया गया है जिसमे गुणवत्ता का एक भी ध्यान नहीं रखा गया है न ही प्राकलन का पालन किया है । उक्त चारो रपटा को देखने से कार्य में हुए व्यय राशि का आंकलन किया जा सकता है । मतलब लाखो की स्वीकृति को महज हजारों की व्यय करते हुए सरकारी धन को हजम करने की आशंका से इंकार नही किया जा सकता । जो प्रथम बरसात में ही क्षतिग्रस्त हो रहा है जिससे उक्त मार्ग में चलने वाले की आवश्यकता की पूर्ति दिखाई नही दे रहा है ।
सैया भय कोटवार तो डर काहे का
जब सूबे की मुखिया स्थानीय विधायक के साथ विभागीय मंत्री है और विपक्ष कमजोर नजर आ रहा है तो डर काहे का । मन माफिया तरह की कार्य किया जाता है और सरकारी खजाने में डाका डालने में कोई कसर नही छोड़ रहे है । पांच साल में वनमंडल में हुए सभी प्रकार के निर्माण और रोजगार मूलक कार्यों की बारीकी से जांच करने पर बेतहाशा गड़बड़ी होने की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता ।
अधिकारी नतमस्तक
क्षेत्रीय विधायक विधागीय मंत्री है जिसके चलते छुटभैया नेता और छोड़े बड़े कार्यकर्ता अपने आप को मंत्री के करीबी होने का प्रभाव दिखाते हुए गुणवत्ताहीन कार्य को अंजाम दिए है । नौकरी बचाने और अनावश्यक विवाद से बचने के लिए वनमंडल के जिम्मेदार अधिकारी नतमस्तक दिखाई देते है । यदि अधिकारी अपने पदीय अधिकार का प्रयोग करते तो सभी छुटभैयाओ का पसीना छूट जाता लेकिन ऐसा होते दिखाई नही दे रहा है। जिससे साबित होता है कि विभागीय अधिकारी मजबूर है ।
सूक्ष्म जांच की आवश्यकता
रेंगाखार सहित वन मंडल में हुए पांच वर्षो के सभी निर्माण कार्य की बारीकी जांच करने की आवश्यकता है जिसमे तरह तरह की गड़बड़िया उजागर होने की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता । जिस पर कई ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी अनियमितता में संलिप्त पाए जाने की संभावना है ।
चुनाव में दिखेगा असर
वनवासियो के विकास और मूलभूल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकार से जारी राशि का बंदरबाट करना और घटिया निर्माण कार्य को अंजाम देने वालो को संरक्षण देना हाल ही में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम में पता चल जाएगा । पथरा टोला के ग्रामीणों ने बताया कि उक्त रपटा निर्माण में जिस तरह का सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया गया है उसका परिणाम चुनाव में दिखाई देगा साथ ही पूरे वनांचल क्षेत्र में इन लोगो का संरक्षण देना भी महंगा पड़ेगा ।