कवर्धा , कबीरधाम जिले के तरेगांव परियोजना अंतर्गत संचालित आंगनवाड़ी केंद्र कुल्लूपानी का संचालन नियमित रूप से नहीं किया जाता। शासन द्वारा केंद्र संचालन का समय सारणी जारी किया गया है लेकिन अमल नहीं हो पा रहा है। जिसका मुख्य जिम्मेदार आंगनवाड़ी केंद्र का कार्यकर्ता है साथ ही नियमित निरीक्षण करने वाले भी उससे कही ज्यादा दोषी है इन पर जांच करने के बजाए । सक्षम अधिकारी उन्हें संरक्षण दे रहे हैं और विशेष पिछड़ी जनजाति लोगो के बच्चो को शासन के गाइडलाइन के अनुरूप पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है जबकि पूरक पोषण कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार लाना है। 6 महीने से 6 वर्ष की आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को वर्ष में 300 दिन पोषण सहायता दी जाती है। जो नहीं मिल पा रहा है।
समय पर नहीं खुलता केंद्र
कुल्लूपानी वन ग्राम है जहां पर पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है। बरसात के दिनों में नदी नाले पर बाढ़ होने से गांव का आवागमन बंद हो जाता है । सरकार वहां पर निवास करने वाले परिवार के बच्चो को शिक्षित करने के लिए आंगनवाड़ी केंद्र और प्राथमिक शाला खोल दिए हैं लेकिन जिनके हाथों में स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र संचालन की जिम्मेदारी है वो सही समय पर अपना केंद्र संचालन करने नहीं पहुंच पाते । ग्राम पंचायत बोदा का आश्रित ग्राम है कुल्लूपानी । कुल्लूपानी और बोदा की दूरी 5-6 किलोमीटर है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बोदा में निवास करती हैं। ऐसे स्थिति में पैदल चलकर सुबह 9:30 में पहुंचकर केंद्र नहीं खोल पाती । ग्रामीणों ने बताया कि सप्ताह में तीन चार दिन ही केंद्र खुलता है वो भी एक दो घंटे के लिए । एड स्थिति में बच्चों को स्कूल पूर्व की शिक्षा मिलना संभव ही नहीं है।
जांच में आनाकानी
एकीकृत बाल विकास परियोजना तरेगांव का एरिया जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है जिसके चलते विभाग वहां पर सेटअप के अनुसार पदों की पूर्ति नहीं कर पाता या फिर वहां पर कोई भी अधिकारी नहीं आना चाहते । जब से परियोजना कार्यालय की स्थापना किया गया है तब से प्रभारियों के भरोसे ही संचालित किया जा रहा है । वर्तमान जो परियोजना अधिकारी पदस्थ है उनका भी स्थानांतरण हो चुका है इसे स्थिति में उन्हें भी कोई रुचि नहीं है। सेक्टर पर्यवेक्षक भी सभी मैदानी क्षेत्र के रहवासी है उन लोग भी जंगल ,पहाड़ों में स्थित केंद्रों में जाने से कतराते है। ऐसे स्थिति में तरेगांव परियोजना और वहां के आंगनवाड़ी भगवान भरोसे है । निरीक्षण करने जाने से पूर्व कार्यकर्ताओं को सूचित कर दिया जाता है। औचक निरीक्षण कभी भी नहीं किया जाता जिसके चलते सारी गतिविधियां फर्जी तरीके से संचालित किया जाता है । कुल्लूपानी आंगनवाड़ी केंद्र में पर्यवेक्षक के अलावा आजतक कोई बड़े अधिकारी दौरा पर नहीं गए है जिसका कारण है आवागमन की सुविधा । पर्यवेक्षक को भी जितना दिन जाना चाहिए नहीं जा पाती केवल कोरम पूर्ति के किए कभी कभार जाती होगी ।
जांच की आवश्यकता
आंगनवाड़ी केंद्र संचालन के लिए शासन द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार वहां पर संधारित पंजी आनलाइन,ऑफलाइन का जांच करने से तरह तरह की गड़बड़ियां उजागर होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता । जिसका मुख्य वजह है कि कार्यकर्ता का मुख्यालय पर निवास नहीं करना और उनके निवास स्थान से केंद्र की दूरी । कार्यकर्ता का संपूर्ण समय बोदा से कुल्लूपानी और कुल्लूपानी से बोदा का पैदल सफर में ही समाप्त हो जाता है ।