कवर्धा, कलेक्टर ने आज जिला चिकित्सालय में बच्चों को एलबेंडाजोल की टेबलेट खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ किया। कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि एलबेंडाजोल की खुराक जिले के सभी बच्चों को मिले। उन्होंने बताया कि यह टेबलेट सभी स्वास्थ्य केन्द्र, अांगनबाडी केन्द्र एवं स्कूलों में 1 से 19 वर्ष के बच्चां को खिलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृमिमुक्त हो जाने से बच्चों में सुपोषण दर बढें़गे, उनके मानसिक और बौद्धिक विकास में वृद्धि होगी तथा एनिमिया से निजात मिलेंगी। कलेक्टर ने जिले के नागरिकों से अपील करते हुए कहा है कि सभी पालक अपने बच्चों को एलबेंडाजोल कि टेबलेट अवश्य खिलाएं। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महेश सूर्यवशी, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सलिल मिश्रा, डीपीएम श्रीमती सृष्टि शर्मा, हास्पिटल कंसलटेंट सुश्री रीना सलूजा, रेडक्रास समन्वयक श्री बालाराम साहू, मेट्रन स्मिता सी.पी. और नर्सिंग कालेज के विद्याथी स्टाफ उपस्थित थे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महेश सूर्यवशी ने बताया कि कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे के मार्गदर्शन में नेशनल डी.वार्मिंग डे पर शत-प्रतिशत बच्चों को एलबेंडाजोल की खुराक देने निर्देश दिए है। बच्चों में कुपोषण की रोकथाम शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति डी.वार्मिंग दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के तहत 1 से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों को आंगनबाड़ी केंद्रों सरकारी व निजी विद्यालयों में, एलबेन्डाजोल गोली (पेट के कीड़े मारने की दवा) निशुल्क खिलाई गई। इसके बाद 17 अगस्त को मॉप अप को फॉलोअप दिवस मनाया जाएगा।
डॉ. सूर्यवंशी ने बताया कि जिले में लगभग 3 लाख 77 हजार 418 बच्चों को डिवार्मिंग गोली खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में 1 से 2 वर्ष तक के बच्चे को ऐल्बेण्डाजोल 400 एमजी की आधी गोली को दो चम्मच के बीच में रखकर चूरा करके स्वच्छ पीने के पानी में घोलकर पिलाई गई एवं 2 से 6 साल के बच्चे को 1 गोली चबाकर खाने को दी गई। जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं उन्हें भी आंगनबाड़ी केन्द्रों के मार्फत दवा खिलाई गई। डीपीएम सृष्टि शर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत सभी बच्चों को एलबंडाजोल की खुराक देने के लिए कार्ययोजना अनुरूप मितानिन, ऑगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं स्वास्थ्य अमले को प्रशिक्षण दिया गया है। अभियान में शिक्षा विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
दवा पूर्णत सुरक्षित
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सलिल मिश्रा ने बताया कि यह दवा पूर्णत : सुरक्षित है। जो बच्चे स्वस्थ दिखें उन्हें भी ये खिलाई जानी है क्योंकि कृमि संक्रमण का प्रभाव कई बार बहुत वर्षों बाद स्पष्ट दिखाई देता है। दवा लेने से कुछ बच्चों में जी मिचलाना उल्टी या पेट दर्द जैसे सामान्य छुट पुट लक्षण हो सकते हैं, लेकिन ये सामान्य व अस्थाई हैं। जिन्हें आंगनबाड़ी व विद्यालय में संभाला जा सकता है। दवा लेने के बाद कृमिमुक्त हो जाते है जिससे अच्छे से भूख लगती है खून की कमी दूर होती है। पढ़ने मे मन लगता है शरीर में उर्जा महसूस होती है। बौद्धिक क्षमता बढती है। 1 वर्ष से 19 वर्ष के बच्चों के लिए अत्यंत ही लाभकारी कार्यक्रम है।
खुले में नहीं करें शौच
कृमि संक्रमण से बचाव के लिए खुली जगह में शौच नहीं करना चाहिए। खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए और फलों और सब्जियों को खाने से पहले पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। नाखून साफ व छोटे रहें साफ पानी पीएं खाना ढक कर रखें और नंगे पांव बाहर ना खेलें और जूते पहनकर रखें।