कवर्धा , कबीरधाम जिला शुरुआत से वी आई पी जिला के नाम से प्रदेश में अपना अलग स्थान बना लिया है। कबीरधाम जिला का अपना खुद का अलग ही वजूद है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियो कर्मचारियों के अनदेखी या लाचार व्यव्स्था के चलते हजारों एकड़ जमीन पर निजी कब्जा है। नियमानुसार जिस जमीन पर सरकारी धन का उपयोग या मुआवजा मिलने के बाद जमीन मालिक का मालिकाना हक़ खत्म हो जाता है लेकिन कबीरधाम जिला में ऐसा नही हो रहा है और बकायदा खरीदी बिक्री हो रहा है।
सरकारी जमीन पर निजी कब्जा
कबीरधाम जिला का गठन 06 जुलाई 1998 में हुआ था तब से लेकर आज तक बहुत से निजी जमीन पर सरकारी योजनाओं के तहत निर्माण कार्य हुआ है । छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जल स्तर में सुधार के लिए जोगी डबरी नाम से योजना का संचालन किया जिसके तहत कोई भी किसान अपने निजी जमीन पर पच्चीस हजार रुपए शासन से अनुदान प्राप्त कर डबरी बनवा सकता था उक्त योजना से जिले के हजारों किसानों ने शपथ पत्र लिखकर अपने जमीन में डबरी का निर्माण किया है लेकिन आज तक किसी भी किसान का डबरी सरकारी अभिलेख के नकसा में दर्ज नहीं है । जिसके चले निजी उपयोग किया जा रहा है ।
पंचायतों में सरकारी खजाना से बना भवन
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद सभी गांवों में पंचायत भवन , स्कूल , अस्पताल,आंगनवाड़ी केन्द्र, सामूदायिक भवन सहित तरह तरह तरह के सरकारी भवन देखने को मिलते हैं। उक्त भवनों में नागरिक सूचना पटल और भूमिपूजन , लोकार्पण का शीला लेख भी लगा रहता है जिसमे विभिन्न मद से व्यय राशि का उल्लेख किया गया है लेकिन गावो के राजस्व नक्शा में उक्त भवन का उल्लेख नहीं है ।कुछ भवनों का निजी कब्जा कर लिया जाता है । सरकारी रिकार्ड में संशोधन नही होने के कारण अधिकारी कब्जाधारियों पर किसी भी प्रकार का कोई कार्यवाही नहीं कर सकता।
निस्तारी जमीन पर हो रहा है कब्जा
गावो में आवागमन की सुविधा को लेकर ग्रामीण निजी जमीन को सड़क , नाली ,भवन , स्कूल , अस्पताल सहित अन्य उपयोग के लिए दान पत्र लिख देते है और तत्काल उक्त जमीन पर सरकारी धन व्यय भी किया जाता है । कुछ वर्षो के बाद दान दाता के मौत होने के बाद उसके वारिसो ने उस पर कब्जा कर लेते है। जिसके चलते निस्तारी की समस्या होता है और शासन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
सबसे ज्यादा जल संसाधन विभाग पर कब्जा
कोई भी गांवो में नहर नाली , जलाशय का निर्माण किया जाता है उससे पहले संबंधित प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाता है और उसके जमीन को अधिग्रहीत किया जाता है l विभाग किसानो को मुआवजा देने के बाद भूल जाता है जिसके बाद किसान अपना निजी जमीन समझकर खरीदी बिक्री भी करते रहता है ।
नक्शा सुधारने की मुहिम चलाने की जरूरत
जिला गठन से लेकर आज तक जितने भी निजी जमीन पर सरकारी धन व्यय किया गया है उसका रिकार्ड खंगाल कर अपडेट करने की आवश्यकता है जिससे सरकारी जमीन की रकबा में बढ़ोतरी होगी और लोगो की निस्तरी की समस्या भी दूर होगा साथ ही गावो में हो रहे विवादो से भी मुक्ति मिलेगा । उक्त कार्य के लिए एक अभियान चलाने की जरूरत भी है ।